Monday, December 20, 2010

भ्रष्टाचार के शिकार बेरोजगार

भारत ने स्वतंत्रता के बाद से २००८ तक २०,५५६ अरब रुपये (४६२ अरब डॉलर)
 भ्रष्टाचार ,अपराध और टैक्स चोरी के कारण गवाए है .अमेरिका के आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ समूह ग्लोबल फाइनेंशियल इनट्रेग्रीटि (जीएफआई) द्वारा जारी रिपोर्ट 'द ड्राइवर्स एंड डायनामिक्स ऑफ़ इलेसिट फाइनेंशियल  फ्लो फ्रॉम इंडिया १९४८ - २००८' में कहा गया है कि १९९१ में भारत कि सुधरती अर्थव्यवस्था के बावजूद गैर क़ानूनी तरीके से देश से बाहर भेजी जाने वाली रकम में बहुत बढ़ोतरी हुई है .एक तरफ भारत इस समय १० प्रतिशत लम्बी बेरोजगारी से जूझ रहा है और जिनके पास रोजगार है उसमे भी अधिकतर भारतीय (लगभग ८० करोड़) २० रुपये प्रतिदिन से कम पर जिंदगी का जैसे - तैसे गुजारा कर  रहे है . तो दूसरी तरफ हमारे देश में एक से बढ़कर  एक घोटाले हो रहे है . इस वर्ष २जी स्पेक्ट्रुम घोटाले ने तो लाटरी घोटाला , आदर्श आवासन घोटाला  आदि सभी घोटालों को पीछे छोड़ दिया है. २जी स्पेक्ट्रुम घोटाले के मामले में फसे दूरसंचार मंत्री ए. राजा के कारनामों के बारे में भारत के लेखा महानियंत्रक (सीएजी) कि कुल ७७ पेजों कि रिपोर्ट कहती है कि संचार विभाग ने युनिवर्सल एक्सेस सर्विसेस लाइसेंस सन २००१ कि कीमत १,६६० करोड़ रुपये पर सन २००८ में १ करोड़ जोडकर १,६६१ करोड़ रुपये पर १२२ कंपनियों को जारी कर दिया गया था . जबकि इनमे से ८८ कंपनियों के पास जरुरी योग्यताए भी नहीं थी . कैग कि रिपोर्ट कहती है एसा करते समय राजा ने अधीनस्थ  अधिकारियों ,भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकार ,वित्त मंत्रालय ,कानून मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी सलाहों को भी पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया ,इससे देश को ५६ हजार करोड़ से लेकर ,७६,६४५ करोड़ रुपये के राजस्व का भरी नुक्सान हुआ .इतना ही  नहीं इनमे से अधिकतर कंपनियों ने आधे में सरकार से प्राप्त माल को बारह आने में खुले बाजार में बेच झटको में अरबो रुपये कमा लिए ,जो जाना तो देश के खजाने में था पर गया कुछ पूजीपतियो और कुछ खादी के कपडे पहने देश के दलालों के जेब में .
एक पत्रिका के रिपोर्टर के सवालों पर ए.राजा ने साफ़ तोर पर कहा है कि ' मैंने हर काम भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण के दिशा निर्देश के अनुरूप किया है और सारे फैसले प्रधानमंत्री दफ्तर कि जानकारी में हुए है .' अब इनसब के बावजूद अगर ऐसी सरकार सत्ता पर अभी भी काबिज है तो गलती इनकी नहीं हमारे समाज कि है जो इन्हें बर्दास्त कर रहा है . एक ओर तो हमारे देश में बेरोजगारी धीरे धीरे पाँव पसार रही है तो दूसरी ओर समाज के कुछ वर्ग द्वारा हर उस आम आदमी के मेहनत और खून पसीने कि कमाई को जो रोज गढ़हा खंता है और रोज पानी पिता है, के भ्रष्टाचार कि गंदे  फन द्वारा निगला जा रहा है . और हमारे समाज का बुद्धजीवी  युवा वर्ग अभी भी चुप है .परिवर्तन लाने का प्रयास किसी भी देश का युवा वर्ग ही  करता है. इसलिए मेरा अपने सभी युवा दोस्तों से यही कहना है कि अब जाग जाओ और चुप्पी कि इस जंजीर को तोड़ दो . इन घोटालों से अगर देश का नुक्सान है तो उससे कही ज्यादा एक  शिछित बेरोजगार युवा का नुक्सान है क्योकि उसके सामने उसका पूरा जीवन है और उससे जुडी उसके अपनों कि आशाये है. जो इन देश के दलालों के हाथों में कठपुतली कि तरह नाच रही है जिसे हमे इनके हाथों से दूर कर माँ गंगा के पतित पावन जल का स्पर्श कराना है .

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