भारतवर्ष में 70 फीसदी जनसंख्या गांवों में रहती है। भारत में लगभग 6,27,000 गांव हैं और इनका मुख्य पेशा कृषि है। जब तक देश के इन 70 फीसदी लोगों का विकास नहीं होगा तब तक देश विकास नहीं कर सकेगा। इसी बात को ध्यान में रख कर मनरेगा योजना का आरम्भ भारत सरकार ने किया था। मनरेगा एक भारतीय रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 25 अगस्त 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 100 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए है। इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों। नियत कार्य बल का करीब एक तिहाई महिलाओं से निर्मित है। सरकार एक कॉल सेंटर खोलने की योजना बना रही है, जिसके शुरू होने पर शुल्क मुक्त नंबर 1800-345-22-44 पर संपर्क किया जा सकता है। शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया।
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी अधिनियम के अंतर्गत जिलें
देश में कुल 28 राज्य व 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं। जिसमें जिलों की संख्या नवीनतम अनुमान के अनुसार 638 है। इसका विवरण कुछ इस प्रकार से है -
राज्य जिला
आंध्रप्रदेश 23
अरूणांचल प्रदेश 16
असम 27
बिहार 38
छत्तीसगढ़ 18
गोवा 02
गुजरात 26
हरियाणा 21
हिमाचल प्रदेश 12
जम्मू कश्मीर 22
झारखंड 24
कर्नाटक 30
केरल 14
मध्यप्रदेश 50
महाराष्ट्र 35
मणिपुर 09
मेघालय 07
मिजोरम 08
नागालैंड 11
उड़ीसा 30
पंजाब 20
राजस्थान 33
सिक्किम 04
तमिलनाड़ु 30
त्रिपुरा 04
उत्तरप्रदेश 71
उत्तराखंड 13
पश्चिम बंगाल 19
इसी प्रकार से 7 केन्द्रशासित प्रदेश में कुल 21 जिले हैं। जो इस प्रकार से हैं -
अंडबार निकोबार 03
चंडीगढ़ 01
दादर नागर हवेली 01
दमन एवं दीव 02
लक्षद्वीप 01
दिल्ली 09
पांडुचेरी 04
इनमें से दिल्ली को छोड़कर कुल 28 राज्य व 6 केन्द्रशासित प्रदेश मनरेगा के अन्तर्गत आते हैं। इसके (मनरेगा) अन्तर्गत तीन चरणों में जिलों का विभाजन किया गया है। प्रथम चरण में कुल 187 जिले व द्वितीय चरण में 121 जिले हैं। इसी प्रकार से तृतीय चरण में 273 जिले हैं। इसके अन्तर्गत व्यक्ति को 100 दिन का रोजगार मुहैया कराया जाता है।
वित्तिय वर्ष 2011-12 में राज्यों के आधार पर मनरेगा के लिए आवंटित राशि :-
राज्य रूपये लाख में
उड़ीसा 30158.29042
राजस्थान 161672.516164974
छत्तीसगढ़ 69523.89169
झारखंड 23919.2353708
मध्यप्रदेश 70416.22371
त्रिपुरा 2003.68508000001
महाराष्ट्र 39711.29581999
गुजरात 48283.077348
पश्चिम बंगाल 66219.9998449
केरला 15620.46063
कर्नाटका 9269.29601
बिहार 52052.18468
मिजोरम 9692.77267
हरियाणा 2873.04356
हिमाचल प्रदेश 8606.47954
उत्तर प्रदेश 71638.9608489796
नागालैंड 0
असम 6348.0014906
उत्तराखंड 9292.77309
मेघालय 8313.62223999999
पंजाब 5220.23689
तमिलनाडु 43109.3097299999
सिक्किम 3603.47197
मणिपुर 9748.25291
जम्मू एवं कश्मीर 19364.3988035722
गोवा 294.6281693
अरूणाचल प्रदेश 560.55273
लक्ष्यद्वीप 41.9
अंडमान एवं निकोबार 139.62348
पांडुचेरी 515.05625
दमन एवं दीव 0
दादर एवं नागर हवेली 0
आंध्रप्रदेश 79608.1
चंडीगढ़ 0
कुल योग 867821.341141116
किसको मिलेगा कितना
यूपी में मनरेगा कामगारों को मौजूदा 100 रुपये के मुकाबले 120 रुपये, उत्तराखंड 100 के मुकाबले 120, चंडीगढ़ 140 के मुकाबले 174, हरियाणा 141.02 के मुकाबले 179, हिमाचल प्रदेश 100 के मुकाबले 120, जम्मू-कश्मीर 100 के मुकाबले 121 और पंजाब में 100-105 रुपये के मुकाबले 124-130 रुपये रोजाना मिला करेंगे।
(अमर उजाला,दिल्ली,07 जनवरी 2011, पृष्ठ संख्या 1)
अनुमानतः मनरेगा में 125 रू. प्रति व्यक्ति, प्रति दिन अगर मिलता है तो उसकी मासिक आय 3750 रू. व वार्षिक आय कुल 45 हजार रूपए होगी। अगर उस व्यक्ति के परिवार में उसे लेकर कुल पांच सदस्य है तो औसतन प्रति व्यक्ति 25 रू. प्रतिदिन के हिसाब से आता है और मासिक प्रति व्यक्ति आय 750 रू. होगा। अगर इस राशि को बढ़ाकर 200 रू. कर दिए जाये तो 4 व्यक्तियों के परिवार में इस राशि का आवंटन 40 रूपए के हिसाब से होगा और अगर इस तरह से व्यक्ति की वार्षिक आय को देखा जाए तो कुल 72,000 रू. होंगे और मासिक में कुल 6000 रूपए की राशि होगी। इस आंकड़े के आधार पर अगर व्यक्ति को अपनी आजीविका का निर्धारण करना हो तो इस बढ़ती महंगाई में वह किस प्रकार से अपने परिवार का भरण - पोषण करने में समर्थ होगा इसका निर्धारण सत्ता पर काबिज सरकार ही कर सकती है।
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