Thursday, May 12, 2011

जैन मुनि को नहीं मिल रहा मीडिया का समर्थन



वर्तमान समय में विकासशील देशों में भारत का स्थान सबसे शीर्ष पर है .जहां एक ओर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम शक्तिशाली देश के रूप में अपनी पहचान को सुदृढ़ करते जा रहें हैं  वहीँ देश आतंरिक समस्याओं से दिन पर दिन जूझ रहा है .हाल में ही देश में  तेजी से भ्रष्टाचार का ग्राफ बढ़ा है जिसमे  २-जी स्पेक्ट्रम का मामला ऐसा रहा जिसने आज तक के सभी भ्रष्टाचार के मामलों को पीछे  छोड़ दिया .जिसमे केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली सरकार तक सभी की सहभागिता रही है .यही नहीं बल्कि मीडिया के कुछ शीर्ष के दलालों का भी इस भ्रष्टाचार मामले में पूर्ण रूप से संलिप्तता रहा है .जब देश के चार स्तंभों में से सबसे  मजबूत कहे जाने वाले दो स्तम्भ विधायिका और मीडिया दोनों ही इस प्रकार से भ्रष्टाचार की जड़ों को मजबूत बनाने में अपना सम्पूर्ण योगदान देंगे तो देश इस दलदल से कैसे बाहर निकल सकेगा

सत्ता पर आसीन लोगों की कार्यशैली कितनी साफ़ और सुदृढ़ है यह तो देश का हर बुद्धजीवी जानता है लेकिन उनकी सोच  के विपरीत मीडिया के द्वारा किया गया ऐसा कार्य  अब चौथे  स्तम्भ को भी अविश्वास के कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है .लोकपाल विधेयक के विरोध में जब ७२ वर्षीय अन्ना हजारे जैसे लोग महाराष्ट्र से चलकर दिल्ली के जंतर - मंतर पर आमरण अनशन करते हैं  तो सभी न्यूज़ चैनलों द्वारा उन्हें मीडिया कवरेज दी जाती है क्योकि वो दिल्ली में बैठ कर अपनी मांग को रखते हैं  और शायद पूरे प्लानिंग के साथ पूर्व में  नियोजित कर उसे कार्यान्वित रूप देते  हैं लेकिन उसी जगह पिछले १६ दिनों से उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा ८ क़त्ल घर (जहां गायें कटी जाती हैं ) बनाने के लिए दिए जाने वाले फैसले के विरुद्ध मेरठ से ५० किलोमीटर दूर बागपत के बडौत में आमरण अनशन पर बैठे जैन मुनि को कोई मीडिया कवरेज नहीं मिल रहा  है .यहां तक की  उन्हें अपने इस मांग को सरकार द्वारा पूरा करवाने के लिए काफी समस्याओं  का सामना करना पड़ रहा है.प्रशासन द्वारा उनके समर्थन में किये जाने वाले कार्यक्रमों को होने में रूकावट खड़ा किया जा रहा है . यही नहीं बल्कि सरकार जब अपने सारे हथकंडों को आजमाने में असमर्थ रही तो आज सुबह उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जब उनके समर्थकों द्वारा इसका विरोध किया गया तो प्रशासन ने बड़ी बर्बरता से उन पर लाठीचार्ज भी करवाया . लेकिन अभी भी उन्हें मीडिया का वो समर्थन नहीं मिल पा रहा जिसकी शायद उन्हें जरूरत है .लेकिन ऐसा होना भी संभव है क्योकि जब चौथे स्तम्भ में शीर्ष पर बैठे कुछ लोग अपने कर्तव्यों को भूल पैसों के लिए भ्रष्टाचार के जड़ को पानी देने में लगे हैं  तो उन्हें उस जैन मुनि का  समाज के लिए किया गया त्याग कैसे दिखाई दे सकता है . हालांकि मेरठ की  जनता ने उन्हें अपना पूरा समर्थन देते हुए १० मई को व्यापार बंद भी  किया था .लेकिन बावजूद इसके राष्ट्रीय चैनलों में इस खबर को प्रस्तुत नहीं किया गया .इस बाबत मेरठ की स्थानीय प्रिंट मीडिया ने अपना सहयोग देते हुए इस घटना को प्रदेश व केंद्र की सरकार तक पहुंचाने का प्रयास जरुर किया लेकिन अभी तक किसी भी न्यूज़ चैनल ने इस आमरण अनशन को पूरी तरीके से  अपना समर्थन नहीं दिया है . जब देश का चौथा स्तम्भ ही लोगों की समस्याओं को शासन व प्रशासन के कानों तक पहुंचा सकने में असमर्थ होगा तो अब आमजन के पास कौन सा विकल्प रह जायेगा .

जैन मुनि द्वारा किया गया यह आमरण अनशन सिर्फ गायों की हत्या को रोकना ही नहीं है बल्कि प्रदेश में हो रहे पशु वध के विरुद्ध भी है .जिस प्रकार से पशुओं का वध चमड़ा प्राप्त करने व अन्य कार्य के प्रयोग में लाने में किया जा रहा है उसका प्रभाव सिर्फ पर्यावरण पर ही नहीं बल्कि समाज पर भी पड़ रहा है . अगर देश में  सारे गायों को मार दिया जायेगा तो लोगों को दूध कहां से प्राप्त हो सकेगा ?और ऐसे में प्रदेश सरकार इन्हें बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाईसेंस दे रही है .जिससे आने वाले समय में  आमजन को इन समस्याओं का सामना  करना पड़ सकता है. इसके लिए जैन मुनि ने पिछले १६ दिनों से भूखे - प्यासे रहकर आमरण अनशन शुरू किया है .लेकिन सरकार इसे प्रोत्साहन देने के बजाय इसका दमन कर रही है .इसके लिए यह आवश्यक है की सिर्फ आमजन को ही नहीं बल्कि मीडिया को भी उन्हें समर्थन करना चाहिए .

1 comment:

  1. अमल भाई.....
    .हिंदुत्व व राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर दलालों के हाथ बिकी हुयी मीडिया के समर्थन की अपेक्षा करना बेवकूफी है..

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