Tuesday, May 17, 2011

भगवान बचाए ऐसी सरकार से ....


दिल्ली में पचास लाख से अधिक मूल्य की संपत्ति खरीदने वाले अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार हो जाएं। दिल्ली सरकार ने अब ऐसे लोगों से एक फीसदी रजिस्ट्री शुल्क वसूलकर अपने खजाने को बढ़ाने की तैयारी कर चुकी है। कैबिनेट द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी गई है। सरकार का मानना है कि इससे सालाना सौ करोड़ रुपये राजस्व की वृद्धि होगी। सोमवार को कैबिनेट बैठक में एक अहम फैसला लेते हुए रजिस्ट्री शुल्क की अधिकतम सीमा का समाप्त करते हुए एक फीसदी तय कर दिया गया है। इस पर कैबिनेट ने भी मुहर लगा दी है। अभी तक पचास लाख रुपये से अधिक मूल्य की संपत्ति पर पचास हजार रुपये रजिस्ट्री शुल्क लिया जाता था। अब कोई संपत्ति यदि एक करोड़ रुपये की है तो उस पर रजिस्ट्री शुल्क एक लाख रुपये देना होगा। सरकार का मानना है कि नई दरों से राजस्व में करीब सौ करोड़ रुपये सालाना का इजाफा होगा और इस मद से सरकार को सालाना करीब २००  से २२५  करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति होगी। गत वर्ष राज्य सरकार को इस मद में ११५  करोड़ रुपये राजस्व भी मिला था।

शायद दिल्ली व केंद्र सरकार के धन की भूख २-जी स्पेक्ट्रम व राष्ट्रमंडल खेलों से अभी पूरी नहीं हो सकी है जिस कारन वो अभी दिल्ली की जनता के पेट की भूख को भी मारने के लिए तत्पर दिखायी दे रही है .पिछले कई वर्षों में इतने घोटाले देश के भीतर नहीं हुए जितना की वर्तमान में केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की सरकार में हुए हैं .आदर्श सोसायटी घोटाले से लेकर २-जी स्पेक्ट्रम तक जितने भी घोटाले हुए वह इस सरकार की उपलब्धियों को बखूबी ढंग से दर्शाती है .

देश में भूख व कुपोषण से हो रही मौतों से चिंतित सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को ५०  लाख टन अतिरिक्त अनाज देश के सबसे गरीब १५०  जिलों को आवंटित करने का आदेश दिया है. यह आवंटन उसके द्वारा नियुक्त समिति की निगरानी में किया जाएगा. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की याचिका पर यह आदेश देते हुए कोर्ट ने यह भी ताकीद की है कि अब देश में भूख से एक भी मौत नहीं होनी चाहिए.सुप्रीमकोर्ट भूख और कुपोषण को लेकर कितना गंभीर हैइसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छुट्टी होने के बावजूद न केवल याचिका की सुनवाई कीबल्कि सख्त आदेश भी पारित किया.न्यायालय द्वारा तो लोगों की भूख के कारण हो रही मौतों पर  चिंता जताते हुए सख्त आदेश पारित कर दिया गया है लेकिन जब सरकार को अपने धन की भूख मिटाने से समय  मिलेगा तब तो वो देश की आमजन की मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान दे सकेगी . 

सरकार द्वारा आमजन को लेकर की गयी चिंता का सबब ही है जो कि पेट्रोल और डीजलों के मूल्य में भी वृद्धि कर दी गयी है .कहने की जरूरत नहीं है कि इस प्रस्तावित वृद्धि के विशुद्ध आर्थिक कारण तो समझ में आते हैं लेकिन मौजूदा ऊंची महंगाई दर को देखते हुए इस फैसले का राजनीतिक-सामाजिक और मानवीय तर्क समझ से बाहर है. सच पूछिए तो मौजूदा परिस्थितियों में जब मुद्रास्फीति की दर   फीसद से ऊपर चल रही है और खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति भी लगभग   फीसद के आसपास हैकोई भी सरकार ऐसा फैसला करने से पहले कई बार सोचेगी . वजह यह है कि पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में दस फीसद की वृद्धि भी मुद्रास्फीति की दरों में ०.७  फीसद से लेकर एक फीसद तक की बढ़ोत्तरी कर देती है. ऐसे मेंअगर मनमोहन सिंह सरकार तेल कंपनियों के मुनाफे और अपने राजकोषीय घाटे को आम आदमी की जरूरतों और परेशानियों से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मानती है तो उसे भी इस मुद्दे पर कोई फैसला करने से पहले गंभीरता से विचार करना चाहिए.

असल मेंमौजूदा स्थितियों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि एक तरह से आग में घी डालने की तरह होगा. यह सही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें ११५  डालर प्रति बैरल के आसपास पहुंच चुकी हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार के पास और विकल्प नहीं हैं.  पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में लगभग आधा हिस्सा केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स का है , लेकिन मुश्किल यह है कि चाहे वह केन्द्र सरकार हो या फिर राज्य सरकारेंदोनों में से कोई भी आमदनी के इस सबसे आसान और महत्वपूर्ण स्रेत को छोड़ना नहीं चाहता है. दोनों ही टैक्स छूट के मामले में जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालकर खुद बचने की कोशिश करती रही हैं.
अब तो आमजन के मुंह से बस यही निकलता है कि भगवान् बचाए ऐसी सरकार से .. 



4 comments:

  1. कभी जनसेवा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम मानी जानेवाली राजनीति आज अपने वास्तविक अर्थ को खोकर एक गाली बन गयी है.....JORDAR BHAI

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  2. अब भगवान भी ऐसी सरकार से नही बचा सकते... सरकार का रिमोट टी किसी और के हाथ में है, वो बचाना चाहें तो बचा सकतीं है...लेकिन सोचता हूँ की क्यों बचाएंगी????ये हाथ तो जनता की जेबें ढीली करवा के ही मानता है...
    अच्छा लेख बधाई....

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