Monday, May 23, 2011

रोटी दे दो सरकार ....!


भारत भूमि ,पुण्य भूमि कहें या भ्रष्टाचारियों की भूमि . कथन थोड़ा कड़वा है किन्तु सत्य तो सत्य है .वर्तमान समय में एक के बाद एक हो रहे घोटालों को देखते हुए यह कथन सत्य है कि अब यह देश भ्रष्टाचारियों के हाथ की कठपुतली बन गया है  और इसका विरोध करने वाले अन्ना हजारे जैसे लोग ऐसे भ्रष्ट सरकार के हाथों में कठपुतली की तरह नाच रहें हैं .२ जी -स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद से देश में ३०० - ४०० करोड़ के घोटालों को आम घोटाला अब माना  जा रहा है और अब आम आदमी इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत भी नहीं समझता .इस प्रकार से लोगों के नजरिये में हो रहे बदलाव को आम आदमी की कमजोरी कहें या वर्तमान समय में देश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां. संप्रग को दूसरी पारी में जो कामयाबी मिली थी, उसकी वजह थी आम आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई मेहनत.संप्रग-दो की सरकार सत्ता में दो साल तो पूरे कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ होने का दावा खोखला साबित हो गया है. 

बीपीएल परिवारों की गणना की अगर बात करें तो सरकार की नीयत यहां भी साफ दिखाई नहीं पड़ रही है.योजना आयोग ने तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट को आधार मानकर करीब  38 फीसदी आबादी को ही बीपीएल श्रेणी में माना है. इसे लेकर उसने सुप्रीमकोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है, वह गरीबों के साथ मजाक से कम नहीं है. शहरों में रोजाना  20 रुपये और गांवों में 15 रुपये तक खर्च करने वाले को उसने गरीबी रेखा से नीचे माना है, जबकि एक लीटर दूध भी 38 से 40 रुपये के बीच है. अगर यह मान भी लिया जाए कि 2011 के आधार पर गणना करने पर यह सीमा शहर और गांव के लिए क्रमश: 30 और 40 रुपये पहुंच जाएगी तो भी क्या यह दो वक्त के भरपेट भोजन के लिए काफी है. ऐसी परिस्थितियों में अगर किसी गरीब को दो जून की रोटी भी किसी प्रकार से नसीब हो गयी तो उनके बच्चों को कुपोषण से कैसे बचाया जा सकेगा. देश का भविष्य भले ही कमजोर हो रहा हो लेकिन सरकार का भविष्य निधि कोष जरुर मजबूत हो रहा है .

केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना मनरेगा ही थी जिसने उसे केंद्र की सत्ता पर आसीन किया लेकिन वर्तमान समय में सरकार की और योजनाओं की तरह यह भी हवाओं में उड़ रही है .अब यह मनरेगा से मरेगा योजना  हो गयी है .इससे रोजगार तो बढ़ा, मगर महंगाई के चलते गरीबी और भुखमरी, कुपोषण की समस्या जस की तस मुंह बाए खड़ी है. ऐसे में भूख की वजह से मौत होने की घटनाओं ने सरकार को शर्मसार किया है.
बावजूद इसके केंद्र सरकार की गरीबों  के लिए चलायी जा रही कोई भी निति या योजना में सुधार नहीं  दिखाई दे रहा है  बल्कि किसी मुद्दे पर समस्या का समाधान खोजने के बजाये सरकार उसे अपना राजनितिक हथियार बनाने में लगी हुई है . 

एक मात्र २जी-स्पेक्ट्रम घोटाला ऐसा घोटाला था जिसमे लगी धन की लगत से ३ माह तक पूरे देश की पेट की भूख मिटाई जा सकती है . गौर करने वाली बात यह है कि जब देश में होने वाले एक भ्रष्टाचार के मामले में इतने धन कि धांधली होती है,जिससे पूरे देश की  इतने लम्बे समय तक पेट की भूख को मिटाने के लिए नहीं सोचना पड़ेगा तो अगर वर्तमान सरकार में होने वाले अब तक के घोटालो में व्यय हुए धन को एकत्रित किया जाये तो देश विकास के शीर्ष को छुएगा  और शायद देश में भूख के कारण होने वाली मौतें रुक सकेंगी .
भूखा तो बस अब यही कहेगा ...रोटी दे दो सरकार !

1 comment:

  1. कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है और इस सरकार में अधिकतर मंत्री भ्रष्ट हैं। आज करोड़ो और अरबों के घोटाले सनसनीखेज खबर मात्र बन कर रह गए हैं। आज चारो तरफ भ्रष्टाचार और अराजकता का महौल बना हुआ है। देश की जनता के पैसों पर मंत्री व अधिकारी मौज कर रहे हैं। राजकोश का दुरूपयोग किया जा रहा है। इसके बावजूद सरकार आखें मूद कर बैठी है।

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